सरकारों की असंवेदनशीलता के चलते खतरे में देवभूमि की नदियाँ: जानिए- पूरी खबर

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बागेश्वर: प्रकृति से छेड़छाड़ व मानवीय स्वार्थों के कारण देश की कई नदियों के उदगम स्त्रोतों के लिये जानी जाने वाली देवभूमि में अब  नदियां सूख रही हैं। एक के बाद एक कई नदियों के जलस्तर में कमी का सिलसिला जारी है। लेकिन अभी तक कोई भी सरकार इनके प्रति संवेदनशील नहीं दिख रही है। एक अनुमान के अनुसार, पिछले पांच दशकों मे 300 नदियां और पांच हजार चाल-खाल विलुप्त हो गये हैं। यह चौंकाने वाले आंकड़े देवभूमि के लिये बहुत बडे खतरे का संकेत है, जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है।
इसी क्रम में अपने भयावह रूप व सदाबहार पानी से छलछलाती बागेश्वर की सरयू नदी भी अब धीरे-धीरे सूखने की कगार पर आ रही है। सरयू के सूखने का कारण भी मानवीय हस्तक्षेप ही है। सरयू के जलस्तर में कमी का कारण नदी में अवैध रूप से चल रहे खनन को माना जा रहा है। वहीँ मामले में प्रशासन की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। आखिर प्रशासन क्यों अवैध खनन पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रहा है। साथ ही कार्यवाही नाम पर केवल एक लिपापोती मात्र ही हो रही है।
आये दिन प्रशासन के पास अवैध खनन की शिकायतों के ढेरों ज्ञापन ग्रामीणो व अन्य समाजसेवी संगठनो के माध्यम से दिए जाते हैं। लेकिन  फिर भी कोई विशेष कदम नही उठाये जाते। वहीँ मामले में लोगों का आरोप है कि, सरयू पर अवैध खनन नेताओ के संरक्षण में हो रहा है। 
आपको बता दें कि, 2013 में हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका मे फैसला देते हुए जिसमें नदी तट से 200 मी0 तक निर्माण कार्य न करने के आदेश जारी किये थे। लेकिन प्रशासन के हाथ नेताओं के आगे बंधे हुये हैं। वहीँ प्रशासन के अधिकारियों का रवैया भी नेताओं जैसा है। जिसकी सरकार हो उसका गुणगान करना शुरू कर दो। वहीँ खनन से नदी के भूमिगत होने का खतरा बना हुआ है। साथ ही सरयू के सूखने का कारण परियोजनाओं द्वारा नियमित रूप से पानी नहीं छोडना भी है। 
सरयू के सूखने का कारण सरकार की उदासीनता है। जहॉ मशीनो से खनन नहीं होना चाहिये वहॉ मशीनो से खनन किया जा रहा है। उद्योगपति सरयू का दोहन कर रहे है। सरयू हमारी आस्ता का केन्द्र है। लेकिन हमारी आस्था पर कठोराघात करते हुये सरयू किनारे शौचालय बनाये गये है। जिससे सरयू गन्दी हो रही है। प्रशासन की मिली भगत के बिना अवैध खनन हो पाना यह संभव नहीं है। 
पूरन सिह कपकोटी का कहना है कि सरयू का जल स्तर सूखने का कारण यह है। कि अतियाधिक मात्रा मे अवैध खनन हो रहा है। और उत्तर भारत हाइडोपावर कम्पनी  ने कम्पनी निर्माण के समय जितना पानी छोडने की बात कही थी। उतना पानी नहीं छोडा जा रहा है। 
प्रशासनिक बयानो मे जिलाधिकारी का बयान हैरंत अंगेज करने वाला दिखा। पहले बयान मे जिलाधिकारी का कहना है कि उत्तर भारत और ग्रामीणों के साथ कुछ तो अनुबंन्ध हुआ होगा । उत्तर भारत द्वारा दर्ज करायी गयी शिकायत का वर्णन करते हुये। जिलाधिकारी का कहना है। कि उत्तर भारत के कर्मचारीयो ने एक पत्र दिया है और आरोप लगाये है कि गा्रमीण जबरन परेशान कर रहे हैं, यह एक जॉच का विषय है। इसमे भी जॉच की जायेगी। 
अवैध अतिक्रमण पर भी प्रशासनिक बयानो मे जिलाधिकारी नगर पंचायत को ही कटघरे मे खडा करके कह रही है कि यदि अतिक्रमण कि जा रही जमीन पर नगर पंचायत शासन और प्रशासन के नियमो को ताक मे रख कर कार्य करती है। तो नगर पंचायत के उपर भी कार्यवाही कि जायेगा। प्रशासन कितने ही दावे कर ले कि हर समस्या की जॉच की जायेगी लेकिन वास्तिकता के आधार पर कोई  ठोस जॉच हो पायेगी यह देखना चाहती है बागेश्वर की जनता।

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