सैनिक के परिजनों ने पेश की ऐतिहासिक मिशाल, विद्यालय को सौंपा कीर्ति चक्र

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रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग जनपद में एक सैनिक के परिजनों ने एक अलग प्रकार की गुरुदक्षिणा देकर ऐतिहासिक मिशाल पेश की है। मूल रुप से कुमायूं के अल्मोडा बल्ट गांव निवासी कीर्ति चक्र विजेता उपनिरीक्षक स्व. भूपाल सिंह के परिजनों ने रुद्रप्रयाग जिले के सुदूरवर्ती विद्यालय सिद्वसौड़ को यह सम्मान समर्पित किया है। एसएसबी के अधिकारियों और स्व. भूपाल के परिजनों ने एक कार्यक्रम के दौरान स्मृति चिह्न को विद्यालय परिवार को सौंपा।

विद्यालय के बच्चे भी इस स्मृति चिहन को अपने विद्यालय में देखकर काफी प्रभावित है। उनका कहना है कि जिस तरह से स्व. भूपाल सिंह ने विद्यालय की पढ़ाई के बाद देश की रक्षा में अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया उसी तरह हमें ये स्मृति चिहन सदैव हमारे दायित्वों को याद दिलाता रहेगा।

बता दें कि कभी राजकीय इण्टर कालेज सिद्वसौड में विद्यार्थी रहे भूपाल सिंह अपनी माता के साथ रहते थे। इनकी माता स्वास्थ्य विभाग में तैनात थी। और पढ़ाई के दौरान ही भूपाल सिंह एसएसबी में भर्ती हो गये। वर्ष 2009 में असम में एक मुटभेड के दौरान अपने 8 साथियों को बचाते हुए ये शहीद हो गये। इनकी शहादत पर सरकार ने इन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। सोमवार को रानीखेत से एसएसबी के अधिकारियों के साथ ही शहीद की माता, उनकी पत्नी व पुत्र विद्यालय में पहुंचे और कीर्ति चक्र स्मृति चिहन विद्यालय को सौंपा। विद्यालय के प्रधानाचार्य बीएल बर्मा ने बताया कि उनकी माता का कहना था कि जिस विद्यालय ने हमारे बच्चे को देश का यह सम्मान दिलाया है उसकी उसली जगह उसका वह विद्यालय है जहां की पढ़ाई करने के बाद वह इस लायक बना।

वहीं पढ़ाई के दौरान स्व. भूपाल सिंह के सहपाठी रहे कालीचरण रावत ने कहा कि जिला प्रशासन की संवेदनहीनता इस दौरान काफी खली। उन्होंने बताया कि प्रशासन का एक भी अधिकारी इस ऐतिहासिक मौके पर नहीं पहुंचा और अब वो मांग कर रहे हैं उस वीर सैनानी की याद में प्रदेश की सरकार को भी विद्यालय मे उनका एक स्मारक बनाना चाहिए जो आने वाले बच्चों के लिए प्रेरणा बन सके।

वहीं स्मृति चिह्न लेकर विद्यालय में पहुंचे एसएसबी के उप निरीक्षक सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि 23 अप्रैल 2009 को असम में एक नकशली मुटभेड में अपने 8 साथियों को बचाते हुए भूपाल सिंह शहीद हो गये थे। और उनकी माता जी की इच्छा थी कि जिस विद्यालय ने उनके बेटे को इस लायक बनाया कि वह देश के काम आ सके यह समृति चिहन उसी विद्यालय के सुपुर्द किया जाय।

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