रुपये की गिरावट से लगता है अब यह आडवाणी जी की उम्र पार कर देगा: हरीश रावत

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नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत का दावा है कि, साल 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाला विपक्षी गठबंधन सत्ता में वापसी करेगा। वो दावा करते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने हर मोर्चे पर अति की हुई है और इससे संविधान व लोकतंत्र के सामने खतरा बन गया है, जनता भी इसे लेकर परेशान है। बीबीसी हिंदी से खास बातचीत में हरीश रावत ने कहा, 2019 में हमको जीतना चाहिए।  हम कॉन्फिडेंट हैं कि, 2019 में वी विल टर्न द टेबल (हम स्थिति का रुख बदल देंगे) भाजपा हारेगी। सब लोकतांत्रिक पार्टियां इस समय संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए एकजुट हो रही हैं। उन्होंने कहा कि एजेंडा हम ही सेट नहीं कर रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी की जो ओवरडूइंग हैं (अति है) वो कर रही हैं। आज देश के अंदर असहिष्णुता का वातावरण है। आपसे जो असहमत लोग हैं, वैचारिक तौर पर आपको जो चोट कर रहे हैं। उनको इस दुनिया से ही विदा कर दिया जा रहा है। लव जिहाद से लेकर मॉब लिंचिंग तक एक असहिष्णुता का वातावरण खड़ा कर दिया गया है, जबकि भारत की धरती और सनातन धर्म सहिष्णुता की बात करते हैं। हमारी आजादी की लड़ाई अंहिसा पर आधारित है। आज संवैधानिक लोकतंत्र खतरे में है, इसलिए जनता भी जागरुक हो चुकी है। हरीश रावत ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2014 में किया कोई वादा पूरा नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा, 15 लाख रुपये देने, हर साल दो करोड़ नौकरी देने और अच्छे दिनों के वादे नाकाम हो चुके हैं। आज रुपये की गिरावट इतनी तेजी से हो रही है कि एक दिन लगता है कि जितनी आडवाणी जी की उम्र है, उस तक रुपया गिर जाएगा, डॉलर के मुकाबले। ये सारी स्थितियां चीख-चीख कर कह रही हैं कि इस बार भारत जबरदस्त बदलाव के लिए वोट देगा।

रावत सभी विरोधी दलों के एक मंच पर आने की बात करते हैं, लेकिन क्या ये दल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना नेता मानेंगे? वो भी उस समय जब कांग्रेस के विरोधी खासकर भारतीय जनता पार्टी के नेता कई बार कह चुके हैं कि राहुल गांधी को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। हाल में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कांग्रेस अध्यक्ष को मसखरा बताया था। हरीश रावत ने कहा, आरएसएस की हुल्लड़ ब्रिगेड ने ये जताने की कोशिश की कि राहुल पप्पू हैं, लेकिन उस पप्पू ने आज वो हालत कर दी है कि सारी भाजपा के पेट में मरोड़े उठ रहे हैं और रात दिन उनको राहुल गांधी दिखाई दे रहा है, वो राहुल फोबिया से ग्रस्त हैं। उन्होंने कहा, राहुल गांधी ने 15 साल के करियर में ये दिखाया है कि वो मेहनत और परिश्रम से अपने को खड़ा करना चाहते हैं और मैं दावे से कह रहा हूं कि चंद्रशेखर राव को भी ये शब्द महंगा पड़ेगा। हमने तेलंगाना बनाया, वहां के लोग हमारा साथ देंगे और हम वहां भी सरकार बनाएंगे। भारतीय जनता पार्टी के सभी विरोधी दल एक मंच पर कैसे आएंगे, इस सवाल पर रावत कहते हैं, कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ शब्दों में कहा है कि हमारे सामने ये सवाल नहीं है कि (गठबंधन का) नेतृत्व कौन करेगा। हमें देखना है कि सब मिलकर संसदीय लोकतंत्र के दुश्मन को पराजित करें।

हरीश रावत कहते हैं, उत्तर प्रदेश में तय सपा और बसपा को करना है, यदि उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और कांग्रेस एक प्लेटफॉर्म पर आते हैं तो बीजेपी एक सीट भी नहीं जीतेगी। वो अगर भाजपा को हराने के लिए गंभीर हैं तो एक प्लेटफॉर्म पर आना पड़ेगा। बल्कि अजित सिंह जी को भी साथ लेना पड़ेगा। एक ऐतिहासिक तथ्य है कि कांग्रेस ने जब भी गठबंधन का नेतृत्व किया है, बड़ी कामयाबी के साथ किया है और सबका आदर किया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के गुजरात में मंदिर के दौरे और कैलाश मानसरोवर यात्रा के बाद पार्टी पर श्साफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेलने का आरोप लग रहा है, पार्टी नेताओं के ब्राह्मणों को लेकर दिए गए बयानों पर भी सवाल उठ रहे हैं, हरीश रावत ने इनका बचाव किया। उन्होंने कहा, कांग्रेस हमेशा उदारता की बात करती रही है, सहिंष्णुता की बात करती रही है, ये सब चीजें सनातन धर्म के साथ जुड़ी हुई हैं। हमारा नेतृत्व अगर दूसरे के धर्म पालन के लिए परिस्थितियां पैदा करता है तो वो स्वयं भी अपने धर्म के प्रति आस्थावान रहा है। इंदिरा जी रुद्राक्ष की माला धारण करती थीं, राहुल जी पहले ही कह चुके हैं मैं शिवभक्त हूं, मैंने उनकी शिवभक्ति का रुप देखा है। क्या आम वोटर हिंदुत्व की कांग्रेसी व्याख्या को समझते हैं? क्या कांग्रेस जब धर्म की बात करती है तो भारतीय जनता पार्टी के लिए एजेंडा तय नहीं कर रही होती है? कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी जैसे वास्तविक मुद्दे उठाने के बजाए ऐसे मुद्दे क्यों उठाती है?

इन तमाम मसलों पर हरीश रावत ने कहा, राहुल गांधी से सिर्फ इस वजह से व्यक्तिगत आस्था का हक नहीं छीना जाना चाहिए कि वो एक राजनीतिक दल के प्रमुख हैं। महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक मुद्दों और खेती के सवालों पर राहुल गांधी एजेंडा सेट कर रहे हैं। आप उनका संसद का भाषण सुनिए, अविश्वास प्रस्ताव पर जिस तरह से उन्होंने अपनी बात रखी, उन्होंने देश और कांग्रेस के भविष्य का एजेंडा सामने लाने का काम किया है। असम के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) को लेकर कहा कि कोई भला आदमी ऐसे में क्या रिएक्ट करेगा, जब राज्यसभा में गृहमंत्री कह रहे हैं कि एनआरसी की प्रक्रिया जारी है। किसी को घबराने की जरुरत नहीं है, उनकी बगल की सीट से अमित शाह बोलते हैं तो कह देते हैं कि ये 40 लाख लोग घुसपैठी हैं। आप इनके विरोधी हैं या इनके पक्ष में हैं? ऐसी गैर जिम्मेदाराना बात कहने वाले लोगों से दोमुंही चाल चलने वाले लोगों से राजनीतिक दलों को प्रतिक्रिया देने में बहुत सोचना समझना पड़ता है। रावत के मुताबिक कांग्रेस एनआरसी की प्रक्रिया के साथ है। पार्टी की कोशिश है कि कोई भारतीय नागरिक बाहर न रह जाए।

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