नहीं रहे प्रदेश के युवा लोकगायक पप्पू कार्की, भीषण सड़क हादसे में हुई मौत

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पिथौरागढ़: उत्तराखंड संगीत जगत को शनिवार को एक भारी क्षति हुई है। अपनी मधुर आवाज से उत्तराखंडियों के दिलों पर राज करने वाले युवा गायक पप्पू कार्की अब हमारे बीच नहीं रहे। शनिवार को सुबह लगभग 8 बजे एक  भीषण सड़क हादसे में पप्पू कार्की की मौत हो गयी। जानकारी के मुताबिक, एक निजी वाहन खाँसयू गनियारो से हैड़ाखान मार्ग होते हुए हल्द्वानी को जा रहा था। वाहन में लोकगायक पप्पू कार्की एवं चार अन्य यात्रा कर रहे थे। हैड़ाखान मार्ग में वाहन अनियंत्रित होकर खाई में गिर गया। जिसमें पप्पू कार्की समेत तीन अन्य लोगों की मौत हो गई। साथ ही दो लोग घायल हो गए। घायलों को हल्द्वानी अस्पताल ले जाया गया।

बचपन से ही संगीत के प्रति अपार रुचि रखने वाले पप्पू कार्की का जन्म 30 जून 1984 को पिथौरागढ के शैलावन गांव में हुआ था। उन्हें अपने गुरु एवं पिता कृष्ण सिंह कार्की से संगीत की प्रेरणा मिली। पत्पश्चात उन्होंने संगीत में ही अपना करियर बनाने की ठानी। उन्होंने अपने सफर की शुरुआत रामा कैसेट के साथ की, जिसकी रिकॉर्डिंग दिल्ली में हुई, जिसमे उन्होंने न्योली गायी थी। 1989 में अपने करियर की शुरुआत करने वाले पप्पू कार्की का शुरुआती जीवन बहुत संघर्ष भरा रहा, उन्होंने 6 साल दिल्ली में और कई जगह नौकरी की, साथ-साथ संगीत के

क्षेत्र से भी जुड़े रहे। 2010 में उनकी एल्बम “झम्म लागदी” आई, जो हिट साबित हुई और फिर उनके पास एक से बढ़कर एक मौके आते रहे। पप्पू कार्की चाहते थे कि, उत्तराखंड के युवा संगीत में आधुनिकता लाएं, लेकिन उत्तराखंड की संस्कृति से ज्यादा छेड़छाड़ न हो। उनका मानना था कि बदलाव से ही विकास होता है, इसलिए पुरानी सभ्यता को आगे लेते हुए नई चीजों के प्रति भी अपनी दिलचस्पी बढाई जानी चाहिए। वहीं हादसे में लोकगायक पप्पू कार्की की मौत के बाद से प्रदेश भर में शोक की लहर है।

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