मानव अधिकारों के संरक्षण के लिये जनवरी से नवम्बर तक 1434 वाद निस्तारित, 355 प्रकरणों का स्वतः संज्ञान

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देहरादून: सोमवार को उत्तराखण्ड मानव अधिकार आयोग में मानव अधिकार दिवस के अवसर पर आयोग के सदस्यों की उपस्थिति में समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की एक सभा हुई, जिसमें मानव अधिकार संरक्षण के संबंध में सत्त कार्यरत एवं प्रयत्नशील रहने हेतु संकल्प लिया गया। इस अवसर पर कई वादकारी भी उपस्थित रहे। आयोग द्वारा मानव अधिकारों के प्रति कृत संकल्प होने के परिणाम स्वरूप आज विशेष रूप से वादों की सुनवाई की गई और 05 वादों का स्वतः संज्ञान लिया गया व 12 नये वादों पर निर्देश जारी किये गये।
आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चन्द शर्मा ने मानव अधिकार दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, राज्य में मानव अधिकारों के संरक्षण के लिये जनवरी से नवम्बर तक 2090 वाद दर्ज हुए, जिसमें से 1434 वाद निस्तारित हुए। इस अवधि में 355 प्रकरणों का स्वतः संज्ञान लेते हुए पूर्व में कई वादों में पीडित व्यक्तियों को आयोग द्वारा क्षतिपूर्ति दिलाई गई। जेल में कैदियों के अधिकारों यथा भोजन एवं स्वास्थ्य के प्रति प्रभावी सिफारिशें की गई।
आयोग की सदस्या डाॅ. हेमलता ढौंडियाल ने विचार व्यक्त किये कि, विगत चार वर्षों में आयोग द्वारा मानव अधिकारों के संरक्षण के लिये सराहनीय कार्य किये गये हैं जिसमें पुलिस उत्पीडन, पर्यावरण क्षति तथा विशेष रूप से महिलाओं के प्रति अपराध का संज्ञान लिया गया है। जिसके लाभकारी परिणाम सामने आये हैं जिसके परिणाम रूवरूप आम जनता में मानव अधिकारों के प्रति जागरूकता दिखाई देती है। मानव अधिकारों के प्रति निष्ठा एवं संरक्षण के लिये समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रतिज्ञा दिलाई गई। कार्यक्रम का संचालन अहमद अली अनु सचिव, उत्तराखण्ड मानव अधिकार आयोग द्वारा किया गया।

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