मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में चला नगर निगम का बुलडोजर, खूब हुए फोन पर अतिक्रमणकारियों की नहीं चली

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देहरादून: आखिरकार धर्मपुर क्षेत्र के निरंजनपुर वार्ड की दशमेशपुरी कालोनी में चार अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जा की हुई 20 फीट चौडी सरकारी सडक पर बुलडोलर चल ही गया और आम रास्ता खुल गया। पिछले चार-पांच साल से सरकारी सडक को अतिक्रमणकारियों के चंगुल से कब्जामुक्त करने के लिये संघर्षरत कालोनी के प्रबुद्धजनों की सत्य की लडाई में विजय हुई। सरकारी आम रास्ता खुलने से कालोनी के लोगों के चेहरे चमक उठे हैं। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट से 29 जनवरी को सडक खोलने के आदेश होने के बाद भी कार्रवाई होने में कालोनी के लोगों को संशय था। आखिरकार लंबे संघर्ष के बाद 8 फरवरी को सडक खुलने से कालोनी के प्रबुद्धजनों को सत्य की लडाई में विजय प्राप्त हुई। कालोनी के लोगों को मुख्य सडक तक आने में अब तक करीब एक किलोमीटर घूमकर आना पड रहा था अब सडक खुलने से दो से पांच मिनट में मुख्य सडक पर पैदल ही लोग आ-जा सकेंगे।
अतिक्रमण हटाने वाली टीम
जिला मजिस्ट्रेट एसए मुरूगेशन के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेटध्उपजिलाधिकारी प्रत्युष सिंह ने अतिक्रमण हटाने के लिये अपर तहसीलदार भगवती प्रसाद जगूडी को मजिस्ट्रेट तैनात किया। अपर तहसीलदार के नेतृत्व में बाजार चौकी इंचार्ज अरूण त्यागी मय पुलिस फोर्स के अतिक्रमण स्थल पहुंचे। यहां पर नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ दस्ते के प्रभारी नेपाल सिंह के नेतृत्व में बुलडोजर चला। करीब आधा घंटे में ही सडक से अतिक्रमण हटा लिया गया।
धारा 133 के तहत कार्रवाई से भयभीत रहे अतिक्रमणकारी
अतिक्रमण हटाने के लिए पहुंची टीम से उलझने की अतिक्रमणकारी हिम्मत नहीं जुटा सके। अतिक्रमणकारी कालोनी में भले ही झूठा प्रचार करते रहे लेकिन उन्हें भलीभांति पता था कि धारा 133 के तहत कार्रवाई का कोर्ट से आदेश हुआ है। पुलिस की मौजूदगी में धडाधड अतिक्रमण हटा और अतिक्रमणकारी मुंह ताकते रहे।
खूब हुए फोन पर नहीं चली किसी की
अतिक्रमण हटाने के लिये प्रशासन की मौजूदगी में पुलिस बल और बुलडोजर देखकर अतिक्रमणकारी सकपका गये। अतिक्रमणकारियों का जिसका जहां जुगाड था उसे फोन घुमाया और अतिक्रमण बचाने के लिये खूब जोड जंतर किये गये। कोर्ट के सख्त आदेश होने के चलते अतिक्रमणकारियों की कोई भी चाल कामयाब नहीं हुई।
महिलाओं को करते थे आगे
एसआईटी और बाजार पुलिस चौकी पटेलनगर देहरादून की ओर से धारा 133 की कार्रवाई की संस्तुति, सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट से सरकारी सडक से अतिक्रमण हटाने का आदेश होने के बावजूद ये अतिक्रमणकारी कार्रवाई से बचते रहे। दरअसल सरकारी सडक को खुलवाने के कार्य में लगे अधिकांश पूर्व सैनिक जिनकी आयु 80 वर्ष, 85 वर्ष के आसपास है। अधिक आयु होने के कारण ज्यादा भागदौड नहीं कर पा रहे थे, जिसका अतिक्रमणकारी लाभ उठाते रहे।
सडक खुलने से बहुत खुश हैं लोग: समाजसेवी एसएस चौहान
निरंजनपुर वार्ड के अशोका इन्क्लेव निवासी वरिष्ठ समाजसेवी एवंज न क्रांति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एसएस चौहान ने कहा कि अतिक्रमणकारियों ने पिछले चार-पांच साल से इलाके में माहौल को अशांत किया हुआ था। श्री चौहान कहते हैं कि सरकारी सडक पर कब्जा बचाये रखने के लिये अतिक्रमणकारियों द्वारा लोगों को डराया धमकाया जाता रहा। उन्होंने बताया कि शुरूआत में जब सडक खुलवाने के लिये कालोनी के करीब 70 लोग एमडीडीए गए थे धरना-प्रदर्शन के लिये। श्री चौहान बताते हैं कि कार्रवाई जैसे-जैसे आगे बढी, अतिक्रमणकारियों ने कालोनी में लोगों को ऐन-केन प्रकारेण मामले से हटाने के लिये काम शुरू कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि अतिक्रमणकारियों ने सरकारी सडक पर कब्जा बचाने के लिये कालोनी के तमाम लोगों को छेडखानी समेत तमाम मामलों में फंसाने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि अतिक्रमणकारियों को ऐसा तमाचा पडा है कि सरकारी संपत्ति को खुर्द-बुर्द कर उस पर कब्जा करने वालों के लिये एक सबक है।
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राजधानी देहरादून के 76 नंबर वार्ड निरंजनपुर की दशमेशपुरी कालोनी और नेहरू विहार कालोनी को जोडने वाली सरकारी सडक को चंद्रमोहन पोखरियाल, प्रेमबल्लभ पंत, निरंजनपुर प्रसाद तिवारी और बीआर मैनोरी द्वारा दीवार डालकर बंद कर दिया गया था। कालोनी के प्रबुद्धजनों ने आम रास्ते से अतिक्रमण हटाने के लिए इन लोगों से कई बार मौखिक रूप से कहा लेकिन ये लोग टहलाते रहे। जब काफी समय तक इन लोगों ने अतिक्रमण नहीं हटाया तो कालोनी के पूर्व सैनिक श्री एमएस बिष्ट, सेवानिवृत्त शिक्षक एचएस राठौर, समाजसेवी एसएस चौहान, पूर्व सैनिक खुशहाल सिंह बिष्ट, एसके कोहली, यशपाल मलिक समेत 60-70 लोग एमडीडीए धमक गए और यहां पर धरना-प्रदर्शन किया। एमडीडीए, नगर निगम, बाजार चौकी पटेलनगर, एसएसपी देहरादून, विशेष जांच दल भूमि (एसआईटी), जिलाधिकारी को प्रार्थना-पत्र दिया। सडक के लिए कालोनी के प्रबुद्धजनों के खुलकर आने से अतिक्रमणकारियों ने कब्जा बचाने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी। पहले तो अतिक्रमणकारियों ने एमडीडीए, नगर निगम से हुई जांचों को दबाने के लिए काम किया। जिस भी प्रकार से मामले को दबाया जा सके हर काम इन लोगों ने किया। एसआईटी ने टीम के साथ कब्जास्थल का मौका मुआयना किया और अतिक्रमणकारियों की रजिस्ट्रियांे की जांच की। रजिस्ट्रियों में सरकारी सडक होने पर एसआईटी ने धारा 133 की कार्रवाई की संस्तुति की। इसके बाद बाजार चौकी पटेलनगर की पुलिस ने चौकी इंचार्ज के नेतृत्व में जांच की। चौकी इंचार्ज ने भी अतिक्रमणकारियों की रजिस्ट्रियों की जांच कराने और मौका मुआयना करने के बाद धारा 133 की कार्रवाई के लिए नगर मजिस्ट्रेट देहरादून को संस्तुति की। अतिक्रमणकारी सब जगह ऊंची पहुंच और धन बल के कारण कार्रवाई से बचते रहे। मामला सिटी मजिस्ट्रेट देहरादून की कोर्ट में चला गया। माननीय कोर्ट ने 16 अगस्त 2017 को सरकारी सडक को खोलने के आदेश दिए। कालोनी के संभ्रांतजनों ने सोचा कि अतिक्रमणकारी अब सुधर जाएंगे लेकिन ये   लोग मुफ्त की सरकारी संपत्ति पर कब्जा बनाये रखने के लिए जिला जज की कोर्ट से स्टे ले आये। कालोनीवासियों द्वारा जिला जज के यहां रास्ता खोलने के लिए केस लडा। 29 जनवरी 2019 को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट से सडक खोलने के पक्ष में आदेश हुए। माननीय कोर्ट ने 16 अगस्त 2017 को सरकारी सडक को खोलने के सिटी मजिस्ट्रेट देहरादून की कोर्ट के आदेश की पुष्टि की। जिस पर प्रशासन, पुलिस और नगर निगम की संयुक्त टीम की ओर से 8 फरवरी 2019 को माननीय कोर्ट के आदेश के अनुपालन मे अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाया।

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