जेट कर्मचारी पूछ रहे, हमारे बच्चे भूखे हैं कोई देख रहा है क्या?

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नई दिल्ली: जेट एयरवेज की उड़ानें पूरी तरह बंद होने के बाद इसके लगभग 22 हजार कर्मचारी सड़क पर आ गए हैं। तीन महीनों से सैलरी न मिलने से परेशान जेट के कर्मचारियों ने बुधवार को दिल्ली के जंंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर सरकार से इस मामले में दखल देने की अपील की। प्रदर्शन के दौरान कई कर्मचारी बेहद भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि सैलरी न मिलने से उनके सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया। बच्चों की स्कूल भेजने की फीस नहीं है।

प्रदर्शन के दौरान कई कर्मचारियों का दर्द छलक पड़ा। एक कर्मचारी ने कहा, ” हम सड़क पर आ गए हैं। हमारे बच्चे भूखे मर रहे हैं। यह देखने वाला कोई नहीं है। एक दूसरे कर्मचारी का कहना था कि फीस न भरने से बच्चों को स्कूल से निकालने की नौबत आ गई है। कुछ कर्मचारियों का कहना थ कि एसबीआई 400 करोड़ रुपये फंड देने का वादा कर मुकर गया। एसबीआई को अगर फंड नहीं देना था तो नरेश गोयल को बोर्ड से निकलने को क्यों कहा गया।

जेट एयरवेज के भीतर तेजी से हुई उथल-पुथल से हजारों कर्मचारी का करियर डगमगा गया है। जेट पर एसबीआई की अगुवाई में बैंकों के कंसोर्टियम का 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। कर्जदाताओं से अंतरिम फंड न मिल पाने की वजह से जेट एयरवेज ने अपनी सभी उड़ानों का अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।

जेट के सीईओ ने कर्मचारियों को दिया भरोसा

जेट एयरवेज के सीईओ विनय दुबे ने बुधवार को कर्मचारियों से कहा कि एयरलाइंस की बिक्री में समय लगेगा। उन्होंने कर्मचारियों से कहा कि आगे चुनौतियां और भी बढ़ सकती हैं, लेकिन उन्हें भरोसा है कि एयरलाइन फिर से उड़ान भरेगी।

एयरलाइंस की सभी उड़ाने बंद हो जाने की वजह से 22,000 से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी और एयरलाइन से जुड़े हजारों लोगों के रोजगार पर खतरा पैदा हो गया है। इन लोगों के समन्वय से ही जेट एयरवेज 120 विमानों और हर रोज 600 से ज्यादा उड़ानों का संचालित करती थी।

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