उत्तराखंड: जापानी तकनीकी से होगा लैण्ड-स्लाइड्स स्थलों का उपचार

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देहरादून: सचिवालय सभागार में गुरूवार को मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में  Japan International Cooperation Agency (JICA) द्वारा पोषित तकनीकी सहयोग परियोजना ( Technical Support Project) की संयुक्त समन्वय समिति ( Joint Coordination Committee ) की तीसरी बैठक सम्पन्न हुई।
मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील है तथा आपदा प्रभावित क्षेत्र के ट्रीटमेंट में जापान की तकनीकी बेहतर है। उन्होंने प्रदेश में जीका द्वारा प्रस्तावित लैण्ड-स्लाइड्स स्थलों के उपचार से सम्बन्धित परियोजना के सम्बन्ध में निर्देश दिये तथा  JICA की टीम से परियोजना के कार्यक्षेत्र एवं अवधि में विस्तार की संभावना पर विचार करने की अपेक्षा की।  JICA की टीम का नेतृत्व कर रहे प्रतिनिधि Sh. Toru Uemachi ने लैण्ड-स्लाइड्स क्षेत्र के उपचार के लिए जापान द्वारा अपनाई जा रही आधुनिक तकनीकी के बारे में जानकारी दी।
बैठक में मुख्य परियोजना निदेशक जीका श्री अनूप मलिक ने समिति को अवगत कराया कि JICA  के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा उत्तराखण्ड के वन क्षेत्रों में ऋषिकेश के निकट नीरगाड़, रूद्रप्रयाग के निकट जावड़ी तथा नैनीताल के निकट पाडली की लैण्ड-स्लाइड्स को जापान की तकनीकों का उपयोग करते हुए उपचार हेतु विभिन्न संरचनाओं के डिजाइन एवं विस्तृत कार्ययोजना (DPR) तैयार की गयी। इसके अतिरिक्त जापान में प्रयोग की जा रही आधुनिक तकनीकों के सम्बन्ध में प्रदेश सरकार के विशेष प्रशिक्षण प्राप्त टीम ने उत्तराखण्ड के 05 अन्य चयनित लैण्ड-स्लाइड्स यथा कालसी में जोकला, मसूरी में कम्पनी गार्डन, उत्तरकाशी में मल्ला गांव, पिथौरागढ़ में ऊंचाकोट, अल्मोड़ा में ताड़ीखेत के लिए जापानी विशेषज्ञों की देख-रेख एवं मार्गदर्शन में उपचार कार्य की योजनायें तैयार की है। इन परियोजना का ट्रीटमेंट प्रदेश सरकार की विशेष प्रशिक्षण प्राप्त टीम करेगी।
बैठक के दौरान सचिव वित्त श्री अमित सिंह नेगी ने नैनीताल स्थित बलियानाला के उपचार में भी जापान के तकनीकी सहयोग की आवश्यकता बतायी, जिस पर अग्रेतर कार्यवाही प्रस्तावित की गयी है। जापानी विशेषज्ञों द्वारा 03 लैण्ड-स्लाइड्स के लिए तैयार किये गये उपचार कार्य तथा परियोजना की प्रशिक्षित टीम द्वारा 05 लैण्ड-स्लाइड्स के उपचार के लिए तैयार किये गये प्लान को संयुक्त समन्वय समिति (जे0सी0सी0) के समक्ष विवरण प्रस्तुत किया गया।

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