जागेश्वर धाम के पूर्व स्वरूप पर आठ सप्ताह के भीतर अंतिम निर्णय ले सरकार: हाइकोर्ट

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नैनीताल: हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए है कि जागेश्वर धाम के पूर्व स्वरूप को बरकरार रखने के लिए आठ सप्ताह के भीतर अंतिम निर्णय लें। साथ ही न्यायालय ने जागेश्वर धाम के चारों तरफ छोटे छोटे मंदिर व आस पास की जगह को सुरक्षित रखने के लिए एक साल का समय सरकार को दिया है। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि आरतोला जागेश्वर मोटर मार्ग के किनारे किसी भी प्रकार का कन्सट्रक्शन यूपी रोड साइड लैंड कॉंट्रोल एक्ट के विपरीत न किया जाय।

कोर्ट ने कोटली के पटवारी को निर्देश दिए हैं कि वह होटल व रेस्टोरेंट से निकलने वाला सीवरेज का पानी नदी में न बहाने दें कोर्ट ने कहा कि इसके लिए तहसीलदार एसडीएम व पटवारी जिम्मेदार होंगे। कोर्ट ने अपने आदेश में एसडीएम को निर्देश दिए हैं कि वहां दाहसंस्कार के बाद कोई भी सामग्री अर्धजली लकड़ी व फैली हुई न हो। कोर्ट ने सरकार की निर्देश दिए कि वे जागेश्वर धाम के तीन किलोमीटर के एरिया में निर्माण के लिए बाइलॉज बनाएं। कोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देश दिए कि जागेश्वर धाम के तीन किलोमीटर के एरिया में किसी भी प्रकार के पेड़ कांटने पर रोक लगाएं, जिला अधिकारी अल्मोड़ा को निर्देश दिए कि जागेश्वर धाम में सोलर लाईट लगाने के लिए तीन माह के भीतर आवश्यक कार्यवाही करें। कोर्ट ने जिला अधिकारी अल्मोड़ा को जिम्मेदारी दी है कि वह नदी की स्वच्छता, जागेश्वर धाम की सुंदरता बनाए रखने के लिए उत्तरदायी होंगे। पूर्व में कोर्ट ने जागेश्वर आरतोला मोटर मार्ग के किनारे किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाते हुए विशेष क्षेत्र प्राधिकरण को निर्माण कार्यो के लिए बाइलॉज बनाने को कहा था। साथ ही पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को निर्देश दिए थे कि जागेश्वर मुख्य मंदिर के तीन किमी की परिधि में पेड़ काटने पर रोक लगाए और प्राचीन स्मारक और पुरातत्व क्षेत्र एक्ट 1958 का पालन सुनिश्चित करें और जागेश्वर के सभी मंदिरों का जीर्णोद्धार करें।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार जागेश्वर व उसके आसपास के ग्रामीणों ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर जागेश्वर आरटोला मोटर मार्ग के किनारे अवैध निर्माण व देवदार के पेड़ो का अवैध कटान को रोकने की प्रार्थना की थी। जिसके बाद कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था।

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