हिमाचल व उत्तर पूर्व की तर्ज पर भू-अध्यादेश पर एक्ट बनाने की सलाह

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देहरादून: आज हिन्दी भवन सभागार में भू-अध्यादेश अधिनियम अभियान के बैनर तले एक सेमिनार का आयोजन किया गया। शंकर सागर रावत व संयोजक लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल द्वारा सभी राजनैतिक व सामाजिक संस्थाओं व कार्यकर्ताओं को आमन्त्रण दिया गया और इसमें सभी वर्गों जिसमें शिक्षक, युवा, छात्र-छात्राएं, जनगीतकार, पत्रकारों व राज्य आन्दोलनकारियों ने अपनी बात रखी और सभी इस बात पर सहमत दिखे कि राज्य बने 18 वर्ष हो चुके हैं, परन्तु अभी तक हम हिमाचल व उत्तर पूर्व की तर्ज पर भू-अध्यादेश पर एक अपना एक्ट बनना चाहिए, ताकि लगातार उत्तराखण्ड की कृषि भूमि भू माफियाओं द्वारा खरीदकर सीमेन्ट के कंकरीट खड़े करते जा रहे हैं, साथ ही न हमारे प्रदेश में अभी भी भूमि बैंक नहीं है।
साथ ही कहा कि, वर्तमान में बने भू नियमों की भी धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं और कुछ जनप्रतिनिधि भी और ब्यूरोक्रेटों की भूमिका इस प्रदेश को बेचने का काम कर रही है, इससे बचाना होगा। क्योंकि अलग राज्य की माँग को लेकर जो सपना हमारी भौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टि से जल, जंगल, जमीन व रोजगार आदि में सब पर हमारा अधिकार लुटता चला जा रहा है। जो अब भी नहीं चेता गया तो उन शहीदों का सपना चूर-चूर हो जाएगा।
सेमिनार का संचालन राज्य आन्दोलनकारी मंच के जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती द्वारा किया गया। सभा के बीच ही जनकवि चन्दन सिंह नेगी जी की कविता “ये कैसी राजधानी है, ये कैसी राजधानी है, हवा में जहर घुलता है, ये जहरीला सा पानी है“ वर्तमान परिस्थिति पर तंज कसा गया।

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