औली शाही शादी मामला: हाईकोर्ट ने सरकार, पीसीबी और डीएम से मांगा जवाब

Please Share

नैनीताल: हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के औली में गुप्ता बंधुओं के परिवार की दो सौ करोड़ रुपये की शाही शादी के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिलाधिकारी चमोली और सरकार से दस दिन के भीतर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में काशीपुर के रक्षित जोशी की जनहित या याचिका पर सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट पेश की और बोर्ड मेंबर सेक्रेट्री कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड द्वारा दायर शपथपत्र से संतुष्‍ट न होकर उनसे दोबारा विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि शादी होने से पहले और उसके बाद औली में दो सौ मजदूर वहां थे जिनके लिए कोई टॉयलेट व अन्य की व्यव्स्था नहीं थी। शादी के दौरान वहां बारिश हुई थी, इनके द्वारा की गयी गन्दगी सीधे धौली गंगा में बहकर चली गयी।

अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि शादी में पॉलीथिन से निर्मित वस्तुओं का प्रयोग किया गया। सफाई आदि के लिए जेसीबी मशीनों का प्रयोग किया गया। कोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड से पूछा है कि 320 टन कूड़े का निस्तारण कैसे किया गया। क्या जैविक व अजैविक कूड़ा अलग किया या नहीं। धौली गंगा सहित उसके आस पास के जल श्रोतों को कितना नुकशान हुआ। कोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड की आदेश दिए हैं कि वह दुबारा से जाँच करे कि वहाँ कितना पर्यावरण को नुकशान हुआ है इसके लिए जितना भी पैसा लगेगा वे उसका बिल जिला जिला अधिकारी चमोली को दें।

याचिकाकर्ता ने अपनी जनहित याचिका में इसकी जाँच कराने के लिए आज एफआराई, निम, वाडिया इंस्टिट्यूट व जियोलॉजिकल सर्वे आफ इण्डिया को पक्षकार बनाने की भी मांग की है। जिस पर कोर्ट ने इनको पक्षकार बनाया है। जिससे पता चल सके की औली बुग्याल है या नहीं शादी से वहां पर्यावरण को कितना नुकशान हुआ है। इसकी सही जनकारी कोर्ट को मिल सके।

काशीपुर निवासी अधिवक्ता रक्षित जोशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड के औली बुग्याल में उद्योगपति के बेटों की शादी 18 से 22 जून तक होने जा रही है जिसमें मेहमानों को लाने ले जाने के लिए करीब 200 हेलीकॉप्टरों की व्यवस्था की गई। इन हेलीकॉप्टरों से पर्यावरण को खतरा होगा साथ ही बुग्यालों और क्षेत्र में रहने वाले जंगली जानवरों को भी खतरा होगा। याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट की खण्डपीठ द्वारा दिए गए पूर्व के आदेश की अनदेखी की जा रही है, जिसमें कोर्ट ने पहाड़ी क्षेत्रों में बुग्याल आदि में किसी भी प्रकार की गतिविधि में प्रतिबंध लगाया था।

You May Also Like