भू-वैज्ञानिकों ने चेताया, गांव को शिफ्ट करने की दी सलाह, शासन बेपरवाह

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बागेश्वर: कुमाऊं का पहाड़ी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। बागेश्वर में  टैक्टॉनिक प्लेटों की हलचल से कयास लगाए जा रहे हैं कि यहां कभी भी भूकंप के तेज झटके आ सकते हैं। भू-वैज्ञानिक कुंवारी गांव को सुरक्षित स्थान पर बसाए जाने की बात कह रहे हैं। कपकोट ब्लॉक के दूरस्थ दुर्गम गाँव कुंवारी में पहाड़ी से लगातार भू-स्खलन व बड़े-बड़े बोल्डरों का गिरना जारी है। तहसील प्रशासन और आपदा विभाग ने आपदा का दंश झेलने वालों को प्रभावित जगह से 500 मीटर दूर सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किया है। चारों ओर से पहाड़ियां दरक रही हैं। लेकिन ग्रामीण वहां भी ग्रामीण दहशत के माहौल में जीने को मजबूर हैं।

आपको बता दें बागेश्वर जिला भूकंप की दृष्टि से जोन पांच में आता है, जो कि बेहद संवेदनशील है। यहाँ अक्सर छोटे-छोटे भूकंप आते रहते हैं। जो कभी महसूस होते हैं और कभी नहीं। वहीँ भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि यहाँ  प्लेटों की सक्रियता से कंपन बढ़ी है। यहां से किसी प्रकार का कार्बन व मीथेन का उत्सर्जन नहीं हो रहा है। अगर जल्द ही कुंवारी गांव को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया गया, तो बड़ा नुकसान हो सकता है। साथ ही यहाँ किसी बड़े भूकंप आने की संभावनाओं को भी नकार नहीं रहे हैं। ऐसे में कुंवारी गांव में रहना अब खतरे से खाली नहीं है। वर्तमान में इस गाँव में करीब 65 परिवार रह रहे हैं।

वहीँ आपदाग्रत कुवांरी गाँव के ग्राम प्रधान का कहना है कई वर्षो से यंहा भूस्खलन होता आ रहा है। ग्रामीण दहशत के माहोल में जीने को मजबूर है लेकिन शासन-प्रशासन ने गाँव के परिवारों को अभी तक विस्थापित नहीं किया है, साथ ही उन्होंने शासन से ग्रामीणों को इस बारूद के ढेर  से हटाने की मांग की है।

इस मामले पर जिलाधिकारी का कहना है कि कुंवारी गाँव में हमारे द्वारा लगातार मॉनेटरिंग की जा रही है, एसडीएम कपकोट और एसडीआरफ आपदा की टीमें वहां सम्पर्क में है। गाँव में पर्याप्त मात्रा में राशन, टेंट्स व  अन्य महत्वपूर्ण सामग्री पहुंचा दी गई है। साथ ही हम शासन को भी अपनी रोजाना रिपोर्ट भेज रहे हैं। और  कपकोट तहसील को हमने अलर्ट मोड़ पर रखा हुआ है, जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटा जा सकेगा।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि भू-वैज्ञानिकों की चेतावनी के बाद भी आखिर क्यों ग्रामीणों की अनदेखी की जा रही है। अब देखना होगा कि शासन-प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रहे इन ग्रामीणों को कब तक राहत मिल पाती है।

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