विवादित हेली टेंडर में ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’: जाने पूरी खबर

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देहरादून: चार धाम यात्रा के लिए जारी किया गया हेली टेंडर अंतिम तिथि तक कई विवादों में रहा। साथ ही कई संशोधनों के बावजूद भी अंत में इससे सरकार की फजीहत ही हुई। नौकरशाहों द्वारा तैयार की गई टेंडर की शर्तें, यात्रियों की सुविधाएं और सरकार के राजस्व के बजाय व्यक्तिगत स्वार्थों पर ज्यादा केंद्रित रही।

टेंडर की शर्तों के अनुसार केदरनाथ से कुल तीन जगहों से ही उड़ान भरनी है और गोविंदघाट में एक जगह से। टेंडर की शर्तों के अनुसार प्रत्येक जगह से केवल 3 ही हेली कंपनियां उड़ान भर सकती हैं। ऐसे में 3 हेलीकॉप्टर वाला ऑपरेटर सीधे इसके लिए आवेदन कर सकता था और एक या दो हेलीकॉप्टर वाले ऑपरेटर को अन्य ऑपरेटर के साथ मिल कर 3 हेलीकॉप्टरों का संघ बनाकर आवेदन करना था।
ऐसे में सूत्रों के अनुसार इस टेंडर के लिए कुल चार संघ बनाकर ऑपरेटरों ने आवेदन किया। जबकि, टेंडर के लिए आवेदन करने वाले ऑपरेटरों में से 5 ऑपरेटर ऐसे हैं, जिनके पास 3 या 3 से अधिक हेलीकॉप्टरों है। लेकिन इन सभी ने अकेले आवेदन न कर संघ बनाकर आवेदन किया। हैरानी की बात यह रही कि आवेदित संघों में से प्रत्येक संघ ने केवल एक-एक रुट के लिए ही आवेदन किया, वो भी सभी ने अलग-अलग रुट के लिए।

टेंडर के लिए आवेदनों की बात करें तो, 4 रुट पर 4 ही बोलियां लगीं हैं। सिरसी से 3 हेली कंपनियों के एक संघ ने, फाटा से 3 हेली कंपनियों के एक संघ ने और गुप्तकाशी से भी 3 हेली कंपनियों के एक संघ ने ही आवेदन किया है। साथ ही गोविंद घाट से 2 हेली कंपनियों ने आवेदन किया है। हालाँकि, इसमें से एक, टेंडर के अनुसार अनुभव वाली शर्त को पूरा नहीं करती है।

इस नाटकीय टेंडर में इन सब के बावजूद यह अंत मे टेंडर ही नहीं रहा। क्योंकि टेंडर में प्रत्येक जगह के लिए कम-से-कम 2 या 2 से अधिक ऑपरेटरों द्वारा बोली लगाई जानी चाहिए थी। लेकिन इन संघों में से प्रत्येक संघ ने केवल एक-एक ही जगह के लिए आवेदन किया। इस तरह प्रत्येक रुट पर कोई प्रतियोगी न होने से उस ऑपरेटर की बोली पर ही टेंडर मिलना तय है, तो फिर इस टेंडर प्रक्रिया का मतलब क्या रह जाता।

वहीं हेली कंपनियों का एक संघ बनाने वाली शर्त से कई अनुभवी ऑपरेटरों को शर्तों के अनुसार योग्य होने के बाद भी बाहर होना पड़ा। इस तरह पहले तो टेंडर में जम के नौकरशाहों की मनमानी चली और फिर संघ वाली एक शर्त ने बड़े ऑपरेटरों को भी मनमानी का मौका दिया। यानि इस संघ में बड़े ऑपरेटरों द्वारा अपनी मनमानी कर चहेते अन्य ऑपरेटरों को संघ में शामिल किया गया। इससे, पहले से ही कई अन्य गैर-जरूरी शर्तों से परेशान कई ऑपरेटरों को बड़े ऑपरेटरों की मनमानी का भी सामना करना पड़ा।

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