कांग्रेस के हाथ ‘उम्मीदों’ की हार

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देहरादून। देश के दो राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में जितनी चर्चा बीजेपी की जीत की हो रही है, उतनी ही चर्चा कांग्रेस की हार की भी। गुजरात चुनाव से कांग्रेस पार्टी को नयी उम्मीदें हाथ लगी है। बीते रोज गुजरात में बीजेपी जब 99 सीटों के साथ एक बार फिर सत्ता पर काबिज हुई तो लड़खड़ाती कांग्रेस 81 सीटों के साथ हार गयी। गुजरात और हिमाचल में भले ही कांग्रेस के हाथ हार लगी हो, लेकिन कुछ ही दिन पहले बने पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए यह हार किसी जीत से कम नहीं है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गढ़ कहा जाने वाला गुजरात, कांग्रेस और बीजेपी के लिए कांटे की टक्कर बन गया। मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों से बीजेपी को गुजरात तो मिली पर सुकून नहीं। हालंकि मोदी का ऐसा मैजिक चला की 22 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी जीत का परचम लहराने में कामयाब रही।

हिमाचल में कांग्रेस के गदावर नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीर भद्र सिंह पार्टी की साख बचाने में कामयाब नहीं हो पाए। वहीँ 2014 लोकसभा चुनाव के बाद लड़खड़ाई कांग्रेस को गुजरात में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की बैसाखी का साथ मिलने के बाद भी पार्टी अपनी चाल नहीं बदल पायी। कुछ ऐसा ही 9 महीने पहले  हुआ था जब कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव में सपा के साथ महागठबंधन किया था। लगातार कांग्रेस की हार ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के मनोबल को तोड़ सा दिया है।

देश में सिमटती जा रही कांग्रेस को बचाने के लिए पार्टी ने नया अध्यक्ष तो चुन लिया है लेकिन बतौर पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी कांग्रेस के लिए क्या करिश्मा करके दिखाते है ये आने वाला वक्त ही बता पायेगा। 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में 115 सीटों के जादुई आंकड़ों के साथ बीजेपी ने जीत हासिल की थी जबकि 2017 में यह आंकड़ा 99 सीटों पर सिमट गया। आंकड़ों में कमी भाजपा के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के गिरते आकड़ें कोंग्रेसियों व राहुल गाँधी के लिए एक अच्छा संकेत उभर कर नजर आ रहा है। चुनाव के दौरान भाषणबाजी, आरोपों का दौर और ईवीएम पर उठे सवालों से चुनावी माहौल ने ऐसे करवट बदली कि सब धरा का धरा ही रह गया। गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव के समापन के साथ ईवीएम पर आरोपों की दुकान भी बंद हो गयी है। फिलहाल गुजरात के इन आकड़ों पर कांग्रेस कैसे काम करती है ये राहुल के लिए एक चुनौती होगी।

गुजरात और हिमाचल चुनाव के बाद आने वाले साल 2018 में देश के पांच राज्य नागालैंड, कर्नाटक, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने है। देखना दिलचस्प  होगा कि इन पांच राज्यों में भी मोदी मैजिक चलता है या फिर राहुल लगा पाएंगे कांग्रेस की नैया पार!

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