बच्चों के घर रौशन करने के लिए वृद्धाश्रम के अंधकार में जी रहे बूढ़े मां-बाप

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देहरादून: खुशियों का पर्व दीवाली आने में मुश्किल से 2 दिन ही शेष रह गए है। इस पर्व को  लोग अपने परिवार के साथ खूब धूम -धाम से मनाते है। लेकिन  कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने परिवार से दूर रह कर दीवाली मनाने को मजबूर है, या यूं कहें कि इन लोगों को अपने परिवार से दूर दीवाली मनाने को मजबूर कर दिया गया है। हम बात कर रहे है ऐसे वृद्ध लोगों की जिनका  उन्हीं के परिवार और बच्चों  ने तिरस्कार कर दिया है। और अब ये लोग वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हैं।

देहरादून स्थित एक निजी संस्था के वृद्धाश्रम में करीब 35 वृद्ध लोग रहते है। ये वृद्ध लोग देहरादून और उसके पड़ोसी राज्यों से यहाँ आये है। ये लोग इस वृद्धाश्रम में अपने-अपने परिवार से दूर रहने के लिए मजबूर हैं। जिन्हें कई बार तो त्योहारों के दिन भी अपने बच्चों और परिवार से मिलना नसीब नहीं  होता। इनकी आंखे मानो अपनो का इंतज़ार करते-करते पथरा सी गयी हो।

परिवार से दूर रह रहे इन लोगों का कहना है कि इनका भरा पूरा परिवार है। लेकिन फिर भी ये लोग इस वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर है।  इनके बच्चों के पास अपने ही माता-पिता की न तो  सेवा और देखभाल करने का समय है और न ही वे लोग इनको अपने साथ रखने को तैयार है।

शायद इन वृद्ध माता-पिता के बच्चे ये भूल गए है कि इन्हीं माता- पिता ने उनको बचपन से इतने नाज़ों से पाल पोस कर बड़ा किया। उनकी हर ज़रूरतों को पूरा किया और आज उन्हीं माता-पिता को इनके अपने ही बच्चों ने अपने घरों में जगह देने से मना कर दिया। शायद इन  बूढ़े माता-पिता के बच्चे  ये भूल गए है कि उनको  भी एक दिन बुढ़ापे की देहलीज़ में चढ़ना होगा, और उस दिन कहीं उन्हें भी यही सब न भुगतना पड़े जो आज उनके खुद के माता-पिता भुगत रहे हैं।

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