बाबा बागनाथ की नगरी मे सुहागन स्त्रियां अपने पति की लम्बी उम्र के लिए इस मंदिर में करती है पूजा-अर्चना

Please Share
बागेश्वर: उत्तराखण्ड में धार्मिक पूजा पाठ उपवास एवं अनुष्ठानों का विशेष महत्व है इसीलिए उत्तराखण्ड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखण्ड में ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री के दिन का सुहागिनी स्त्रियों के लिए विशेष महत्व है। अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए सुहागिनी स्त्रियां इस दिन उपवास रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। कुमाऊं की काशी बागेश्वर में बाबा बागनाथ  नगरी बागेश्वर में भी सुहागिन महिलाओं पारम्परिक परिधानों में अपने पति की लम्बी आयु की कामना के साथ वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर अपने पति की दीर्घायु के लिए वरदान मांगा।
वहीं उत्तराखण्ड में और पहाड़ो में अब भी पौराणिक वट सावित्री व्रत की विशेष मान्यता है। बाबा बागनाथ की नगरी बागेश्वर में भी सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लम्बी आयु की कामना के साथ वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर अपने पति की दीर्घायु के लिए वरदान मांगा।
वहीँ मंदिर के पंडित का कहना है. एक पौराणिक कहावत के अनुसार सावित्री ने यमराज से अपने मृत पति के प्राण वापस मांग लिये थे उसी से प्रेरित होकर सुहागिन स्त्रियां इस व्रत को करती हैं। हमारी पौराणिक मान्यता के अनुसार वट सावित्री व्रत एवं पूजा का विशेष महत्व है। सुहागिन  वट के पेड़ को रक्षा धागा अथवा कलावा बांधकर उसकी पूजा अर्चना करती हैं और पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं।  पूजा एवं अनुष्ठान के बाद किया जाता है। व्रत आरम्भ के समय जिस महिला ने फलाहार चुना होता है उसे जब तक वह व्रत करेगी फलाहार ही करना होता है। और जिसने अनाज चुना होता है वह पकवान का सकती है मगर इस दिन चावल का प्रयोग भोजन में वर्जित माना जाता है। इस उपवास में भोजन करने का समय सूर्यास्त से पहले माना गया है।

You May Also Like