आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने सरकार के खिलाफ की जमकर नारेबाजी

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देहरादून: आंगनबाड़ी और आशा कार्यकत्रियों ने प्रदेश के कई जिलों में बुधवार को राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। राजधानी देहरादून, पिथौरागढ़ समेत उत्तरकाशी में आंगनबाड़ी और आशा कार्यकत्रियों वेतनमान समेत तमाम मांगो को लेकर आंदोलनरत महिला कार्यकत्रियों ने राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

एक्टू के बैनर तले पिथौरागढ़ ज़िले की आंगनबाड़ी और आशा कार्यकत्रियों ने जिलाधिकारी कार्यालय में जोरदार प्रदर्शन किया। आक्रोशित आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों ने सरकार पर श्रम कानूनों के उलंघन का आरोप लगाया।  उन्होंने सरकार से न्यूनतम वेतनमान देने के साथ राज्य कर्मियों की भांति तमाम सुविधाएं देने की मांग भी की है। आशा कार्यकत्रियों का कहना है कि वे 2007 से लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे है बावजूद उन्हें आज तक किसी भी प्रकार का मानदेय नहीं दिया जाता है। इसके विपरीत कार्य के बदले का खर्चा उन्हें दिया जाता था, वो भी पिछले एक साल से बंद कर दिया गया है। उन्होंने सरकार से मानदेय निर्धारित करने की मांग की है। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने मांगे पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। 

वहीँ उत्तरकाशी महिला वर्कर्स आंगनबाड़ी तथा भोजन माताओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करते हुए कलक्ट्रेट परिसर में केन्द्र तथा राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। इस दौरान महिला वर्कर्स ने इन दोनों सरकार पर शोषण का आरोप भी लगाया।
आंगनबाड़ी तथा भोजन माताएं काली कमली धर्मशाला में एकत्रित हुई। इसके बाद पेट्रोल पंप होते हुए भटवाड़ी रोड़ तथा अंत में कलक्ट्रेट परिसर में पहुंचे। इस दौरान आंगनाड़ी तथा भोजन माताओं ने केन्द्र तथा राज्य सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। महिला वर्कर्स ने बताया कि लंबे समय से वेतनमान 18 हजार किए जाने, सेवानिवृत्ति के बाद तीन हजार पेंशन दिए जाने, भोजन माताओं को हटाने के जगह दूसरे विद्यालयों में समायोजित करने तथा हटाई भोजन माताओं को पुन: लगाने के साथ आंगनबाड़ी तथा मिनि आंगनबाड़ी का भेद हटाकर एक समान वेतन दिए जाने की मांग की है। इस दौरान एसडीएम के माध्यम से डीएम को ज्ञापन प्रेषित भी किया गया है।

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