कारगिल विजय दिवस – वीरो को सत-सत नमन…

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आज 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में भारत की विजय के 18 साल पूरे हो गए है। 26 जुलाई 1999 को ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान को जंग में हरा कर जम्मू कश्मीर के कारगिल में तिरंगा फहराया था, तब से हर साल इस दिन को कारगिल विजय दिवस और कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है ।

इस युद्ध का कारण था बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिकों व पाक समर्थित आतंकवादियों का लाइन ऑफ कंट्रोल को पार कर कई महत्वपूर्ण पहाड़ी चोटियों पर कब्जा करना। साथ ही लेह-लद्दाख से भारत को जोड़ने वाली सड़क का नियंत्रण हासिल करना। लेकिन पाकिस्तानी घुसपैठ का जवाब देने उतरी भारतीय फौज ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी।

1998 की सर्दियों में ही कारगिल की ऊंची पहाडि़यों पर पाकिस्‍तानी घुसपैठियों ने कब्‍जा जमा लिया था। 1999 की गर्मियों की शुरुआत में जब सेना को पता चला तो सेना ने उनके खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया। 1999 में भारतीय सेना ने कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर भारतीय जमीन से बाहर कर दिया था। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लडे गए इस युद्ध को ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया था। इस सैन्‍य कार्रवाई में सेना के लगभग 530 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गये और करीब 1363 वीर घायल हुए थे।

बाद में 11 मई से भारतीय वायुसेना भी इस जंग में शामिल हो गई थी। वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज, मिग-21, मिग 27 और हेलीकॉप्टरो ने पाकिस्तानी घुसपैठियों की कमर तोड़ दी। करीब 16 हजार से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर यह लड़ाई लड़ी गई। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और ताकत का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर हिन्दुस्तानी को गर्व है।

आपको बता दें कि तत्कालीन वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में दो महीने से भी अधिक समय तक चले इस युद्ध में भारतीय थलसेना और वायुसेना ने ‘लाइन ऑफ कंट्रोल’ पार न करने के आदेश के बावजूद अपनी मातृभूमि में घुसे आक्रमणकारियों को मार भगाया था।

कारगिल विजय दिवस के इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवानों को सलाम किया, पीएम ने ट्वीट कर लिखा कि हमारे देश की रक्षा और गर्व के लिए जवानों ने लड़ाई लड़ी, हमें जवानों पर गर्व है।

लेकिन आज भी दिल में एक सवाल उठता है कि भारतीय सीमा पर सेना और बीएसएफ की चौकसी के बावजूद पाकिस्तान की फौज हमारी सीमा में आखिर कैसे दाखिल हुई थी।

उस दौरान बर्फबारी में कारगिल और अन्य ऊंचाई वाले स्थानों से सेना नीचे बुला ली जाती थी जिसका फायदा शायद आतंकियों ने उठाया। लेकिन अब देश की सरहद पर बारहों महीने सेना की तैनाती रहती है।

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